सीमांत किसानों को संजीवनी बनी आईटीबीपी सप्लाई योजना, पलायन रोकने में मिल रही मदद
उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर उत्तराखंड के सीमांत जिलों में पशुपालकों और ITBP के बीच सीधा अनुबंध कराया गया है। इसका असर बेहद सकारात्मक नजर आ रहा है। अब तक सिर्फ 5 महीनों में ही चार सीमांत जिलों के 253 किसान ₹2.6 करोड़ का कारोबार कर चुके हैं। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है बल्कि गांवों से पलायन भी कम हो रहा है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
स्थान: पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी, चम्पावत
सप्लाई की गई मात्रा (5 महीनों में)
- 42,748 किलो जिंदा मटन।
- 29,407 किलो चिकन।
- 7,374 किलो ट्राउट फिश।
- कुल: 79,530 किलो सप्लाई।
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वार्षिक लक्ष्य
- 800 मीट्रिक टन सप्लाई का अनुमान।
- कुल कारोबार: ₹20 करोड़ तक।
भुगतान व्यवस्था
- किसानों को 24 घंटे के भीतर DBT (Direct Benefit Transfer) के ज़रिए भुगतान।
- रिवॉल्विंग फंड: ₹5 करोड़ की व्यवस्था।
स्थानीय किसानों की सफलता की कहानियां
नरेंद्र प्रसाद (बड़ालू, पिथौरागढ़)
2022-23 में मुर्गी पालन से शुरूआत की, अब प्रति माह 16 कुंतल चिकन सप्लाई करते हैं, जिनमें 3 कुंतल ITBP को जाते हैं।
प्रकाश कोहली (देवदार, पिथौरागढ़)
जनवरी 2025 से अब तक 11 कुंतल बकरी की सप्लाई, ₹50,000 की आमदनी। अब “गोट वैली” योजना के लिए भी आवेदन किया।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
सीमांत किसानों के लिए ये योजना आजीविका का मजबूत साधन बनी है। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है बल्कि पलायन पर भी रोक लग रही है। सरकार ITBP के साथ मिलकर सीमा की सुरक्षा और ग्रामीण विकास – दोनों को मजबूती दे रही है।
यह योजना उत्तराखंड की सीमांत अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही है और स्थानीय उत्पादन को राष्ट्रीय सुरक्षा बलों से जोड़ कर किसानों के लिए नए आयाम खोल रही है। आने वाले समय में यह एक मॉडल स्कीम के रूप में उभर सकती है।